श्रीखंड महादेव : जहाँ सबसे ज्यादा श्रद्धालु जान गंवाते हैं - Shrikhand Mahadev : Where most devotees die

आजकल श्रीखंड महादेव यात्रा आधिकारिक तौर पर बंद है लेकिन कुछ फ्री सोल्स अभी भी सर पे कफन बंधकर जा रहे हैं और हर दूसरे या तीसरे दिन कोई न कोई गुमशुदा हो रहा है । भारी बरसातों में लोग श्रीखंड इस तरह निकल रहे मानो उन्हें अमर होने का वरदान मिलने वाला हो । मैं पहली बार श्रीखंड के लिए 2014 में गया था लेकिन प्रशासन ने उस साल यात्रा को बंद कर दिया था । मैं जाओ गाँव में 3-4 दिन रहा ये सोचकर कि यात्रा खुल जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, मैंने इन कुछ दिनों में 6 लाशें देखी । 

श्रीखंड महादेव कैलाश 

रेस्क्यू वालों से बात करके पता चला कि इनके पास न रेन गियर, न छतरी, न ट्रेकिंग शूज, न डंडा और तो और बन्दे ऊपर से नंगे पैर चले थे । कुछ बारिश में भीगने से, कुछ ग्लेशियरों पे फिसलने से, कुछ नशे से और कुछ एक्यूट माउंटेन सिकनेस का शिकार हुए । भगवन इन सबके घरवालों को हिम्मत दें ।

अपना भी श्रीखंड दर्शन का सपना टूट न पाया और अगले साल ही झोला उठाकर निकल गये । सिंघाड़ में बीपी चेक करवाके पहुंचे थे कैलाश के सामने । फिर अगली बार 2017 में दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। अगर हर बार सफलता प्राप्त करनी है तो उतनी ही ज्यादा तैयारी भी चाहिए होगी । तैयारी सामान की भी होनी चाहिए और शारीरिक भी । मेरे बैग में हमेशा स्लीपिंग बैग, एक ट्रेकिंग पोल, बरसती का जोड़ा, ट्रेकिंग शूज, रकसैक का रेन कवर और कुछ ड्राई फ्रूट्स रहते हैं...जिनकी जरूरत पहाड़ में कभी भी पड़ सकती हैं । 

दुर्गम रास्तों पर तैयारी तो चाहिए ना  

शारीरिक तौर पर फिट रहना बड़ा जरूरी है, बाकियों का तो पता नहीं मैं तो ट्रेनिंग करता हूँ किसी भी ट्रेक पर जाने से पहले, भला फिटनेस के बिना इतने बड़े ट्रेक पर कैसे जा सकते हैं । अब आप लोकल होने की बात मत कहना क्योंकि आंकड़ों के हिसाब से श्रीखंड पर मरने वाले सबसे ज्यादा लोकल्स ही हैं । नशा त्यागो जिंदगी नहीं ।

मुझे याद है, मैं 2015 में श्रीखंड से वापस आते हुए कितना थक गया था, बर्फ से जूते भीग गये थे और थकान ने मुझे एकदम मुर्दा बना दिया था, हर कदम पर मेरा संतुलन बिगड़ रहा था और अगर मैं उस दिन फिसल जाता तो आज शायद ये सब न लिख रहा होता । मैं पूरे रास्ते पानी पीता रहा, बिस्कुट और चोकलेट खाता रहा तब जाकर शाम 4 बजे मैं भीम डूआरी पहुंचा । इस ट्रिप के बाद मैंने और ज्यादा प्रेक्टिस शुरू करी पैदल चलने की वो भी बैग के साथ ।

एक और लाश, एक और परिवार हताश 

फिर जब मैं 2017 में फिर से श्रीखंड पहुंचा था तब बड़ा मजा आया था, ट्रेनिंग इतनी बढ़िया थी कि मैं भीम डूआरी से श्रीखंड महादेव सिर्फ 03:14 मिनट में पहुंच गया था । थकावट रत्ती भर भी नहीं थी और दर्शन करने में भी बड़ा मजा आया था । मैं खुद की तारीफ़ें इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि अगर मैं कर सकता हूँ ट्रेनिंग और तैयारी के बेस पर ये सब तो आप क्यों नहीं ?। 

अपने आप को जानबुझकर खतरे में मत डालो । अगर आपको पहाड़ों में घूमना पसंद है तो जरूरत के कुछ बेसिक गियर्स खरीद लो जो आपके हमेशा काम आयेंगे जैसे कि :-

स्लीपिंग बैग

मैट्रेस

रकसैक विद रकसैक रेन कवर

बरसती या पौन्चो

ट्रेकिंग शूज 


तो दोस्तों सेफ रहो, स्वस्थ्य रहो और जब तक कोई भी यात्रा अधिकारिक तौर पर खुल नहीं जाती मत जाओ । 

लेदर जैकेट और जींस में चलते यात्री 

Comments

  1. बिना किसी तैयारी और बिना सीजन के यात्रा करने आलों के लिए ऊपर ही कारागार बनाया जाना चाहिए ।
    हार्डकोर ट्रैकर तो चलो ठीक है पूरे तामझाम से चलते हैं
    लेकिन ऐसे झोलाछाप झंडूबाम सब के लिए परेशानी का सबब बनते हैं ।

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    1. अब इन्हीं क्यूल ड्यूडो की वजह से यात्रा ही बंद हो गयी है। आदरनीय झंडूबामों ने कहावत सिद्ध कर दी है कि "हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे"।

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  2. baba insta se gayab ho, yar me aapko kitna dhunda

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  3. Kuch free soul to Pin Parvati pass bhi bina khaane ke or bina dande ke nikal jaate hai. Kuch to dusro ke kehne pr ufante naalo me ghus jaate hai😂😂😂

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    1. शायद परियों को देखने घुस जाते हो नालों में

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  4. रोहित भाई जी, श्री किन्नर कैलाश करना है। आप एक दिन में गुफा से पोवारी आ गए थे। कितना समय लगा था?
    श्री खंड महादेव🙏 मुझे सबसे अच्छी यात्रा लगी थी, लेकिन ग्लेशियर पर चलना सबसे अधिक खतरनाक है।

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  5. उदय जी मैं गुफा से पोवारी शायद 3.5 घंटे में आ गया था। उतराई में मैं चलता नहीं हूँ धीरे-धीरे दौड़ता हूँ ताकि समय कम लगे।

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