17 फरवरी 2018
बहुत
साल पहले की बात है जब मैं फेसबुक के द्वारा अरुण जसरोटिया से मिला था । फिर
सिलसिला शुरू हुआ और हमने साल 2014 में चादर (द फेमस वन) जाने का प्लान बनाया, दोनो ही नहीं
जा पाए अपनी-अपनी समस्याओं के चलते । कई बार मिलने के प्लान बने, नहीं मिले, फिर
आख़िरकार ऐ.जे. ने खुद ही पहल करी और 16 फरवरी को बीड में कदम रखा । हमने शतवादिनी
मंदिर तक ट्रेक किया जिसके बाद वो वापस जम्मू रवाना हो गया ।
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शतवादिनी माँ का मंदिर |
इस
ट्रेक पर बताने को ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन दिखाने को बहुत कुछ है । आओ चलते हैं
वहां जहां कोई एडवेंचरर नहीं है, जहां कोई माउंटेन कोंकरर नहीं है, नो वंडरलस्ट, नो
लोस्ट सोल, एक यात्रा सिर्फ जैसी है उसे वैसी देखने की ।
ऐ.जे
जम्मू से i20 से ड्राइव करके बीड पहुंचा था । अगले दिन
छोटी-मोटी तैयारियों के साथ हमने बीड छोड़ा उसकी कार में । प्लान के मुताबिक़ कार हम
बिलिंग में पार्क कर देंगे और एक रात शतवादिनी मंदिर की धर्मशाला में बिताकर बीड
वापस आ जायेंगे । बिलिंग हम सुबह सवा दस पहुंचे, मौसम साफ है, धूप निकली है और पैराग्लाइडिंग
के बीच हमने आलू के पराठे खाकर ट्रेक शुरू किया ।
बिलिंग की
ऊँचाई 2430 मीटर है और पैराग्लाइडिंग की दुनिया में इस जगह का सिक्का चलता है । बीड के सबसे
पास यही जगह है जहाँ सर्दियों में कई बार बर्फ गिरती है, कभी-कभी 2 से 3 फीट
बर्फ़बारी आराम से हो जाती है । हैरानी की बात है कि इतनी बर्फ में भी यहां पैराग्लाइडिंग होती है ।
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ऐ.जे. के जलवे ऐट बिलिंग |
तो ट्रैक सिर्फ हम दोनों ने ही शुरू किया था लेकिन 10 कदम बाद ही हमें 4 साथी और मिल गये
। वो कहां जा रहे थे हमें नहीं पता? हम कहां जा रहे थे उन्होंने नहीं पूछा, लेकिन
फिर भी एक साथ रहा । हम सफर में थे और अब 2 से 6 हो गये थे ।
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और ट्रेक शुरू |
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4 अंजान दोस्त |
बिलिंग
से 4 किमी. बाद बर्फ शुरू हो गयी । हम पूरे आधा दर्जन लोग बर्फ में मस्ती करते चल
रहे थे । चार कुत्तों में से एक का नाम ‘जेंगो’ है, एक नाम किसी विदेशी
पैराग्लाइडर पायलट ने रखा हुआ है जो मुझे याद नहीं है बाकी 2 शायद बेनाम ही हैं ।
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बर्फ में तो बड़े भी बच्चे बन जाते हैं |
बर्फ
हमारे टखनों से ऊपर है, जूतों में बर्फ चली गयी है, जेंगो एंड टीम अलमस्ती में
बर्फ में भाग रहे हैं, कूद रहे हैं और बर्फ को ही खा भी रहे हैं ।
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बर्फ का गोला निगलते हुए जेंगो |
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चमक देखो लडके के चेहरे पर |
3 किमी.
पीछे हमने ‘गो नाले’ (माय पर्सनल फेव) को क्रोस किया । नीचे से देखने पर ऐ.जे. के
हिसाब से ऊपर आज ही पहुंचा जा सकता है, ऐ.जे. को बताता हूँ ये इसकी चाल है इसमें
गलती से भी नहीं फंसना है । हाथ जोड़कर आगे निकलना ही बेहतर समझता हूँ ।
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सामने दिखता गो नाला (चढ़ते ही पेल देगा) |
चैना पास (2850 मी.) पहुंचते-पहुंचते दोपहर के लगभग पौने 2 बज जाते हैं । सोच रहा था कि चाचू मिलेंगे, उनके साथ कुछ समय बिताएंगे और थोड़ी मस्ती के बाद धर्मशाला जायेंगे । लेकिन ज्यादातर समय के हिसाब से चाचू आज भी गायब हैं ।
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5 स्टार फोटो (चैना पास) |
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चैना पास (2850 मी. पर स्थित एक और माँ शतवादिनी का मंदिर |
चैना पास से सड़क आगे राजगुंदा गाँव चली जाती । अभी पिछले साल नवम्बर महीने तक इस सड़क को बड़ाग्राम से जोड़ने का काम बड़े जोरों शोरों पर चला था । अब रोड़ की कटाई बर्फ पिघलने के बाद फिर से शुरू होगी । चैना पास से एक रास्ता ऊपर को चढ़ता है जहां शतवादिनी माता का मंदिर और थोड़ा आगे जाकर हनुमानगढ़ पहुंचा जा सकता है । चैना पास से ऊपर चढ़ते ही बेहद खूबसूरत नज़ारे आपको अपने वश में करने को बेताब दिखाई देते हैं ।
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रेस्ट करती जेंगो एंड टीम |
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3 दिन पहले बर्फ गिरी थी जिस वजह से जंगल में सभी लकडियाँ गीली है तो जहां भी सुखी लकड़ी मिली ऐ.जे. ने उठा ली |
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'द डूडस' |
3 बजे हम अपने ठिकाने पर पहुंच गये थे जहां हमें आज रात बितानी थी । बैग रखकर सबसे पहले हमने सूखी लकड़ियाँ इकठ्ठी करी । यहाँ पानी जमा हुआ है, और हम नीचे से ही 4 लीटर पानी साथ लाये हैं ।
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शतवादिनी मंदिर की धर्मशाला (यहीं हम रात बिताएंगे) |
लकडियाँ इकठ्ठी करने के बाद हम मंदिर तक गये माता के दर्शन के लिए । मंदिर तोश, बान और देवदार के पेड़ों से घिरा है । शतवादिनी का अर्थ है "सात बहन", यह मंदिर सात बहनों के नाम पर है, कहीं-कहीं इसे सतबहनी नाम से भी जाना जाता है । इस मंदिर के बारें में ज्यादा तो नहीं जानता सिवाय इसके कि "यहाँ जो भी मन्नत मांगी जाती है माँ पूरी करती है" और मंदिर के पास स्थित 7 पेड़ों को सात बहनों की उपस्थिति से जोड़ा जाता है ।
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माँ शतवादिनी मंदिर |
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इंटू द वाइल्ड |
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मंदिर के पास, जन्नत का एहसास |
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मंदिर से वापसी के दौरान जेंगो एंड टीम की अलमस्ती |
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जेंगो एंड टीम "लव दिस ग्रुप" |
जब हम यहां पहुंचे थे तभी हमने बीड से लाये लंच को पेल दिया था। एक-एक चपाती जेंगो एंड टीम के हिस्से में भी आई । लेकिन एक-एक चपाती से क्या होता तो शतवादिनी मंदिर से वापस आकर ऐ.जे. ने अपने पशु प्रेमी होने का सबूत दिया और चारों दोस्तों के लिए चपाती बना डाली ।
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जेंगो, रोटियों,खुशबू और भूख |
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लड़का छा गया |
आटा हमें धर्मशाला में मिल गया था जिससे ऐ.जे. ने लगभग 12 रोटियाँ बना दीं । मुझे यकीन है जेंगो एंड टीम ने ऐ.जे. को भऊ-भऊ के रूप में ढेरों दुआएं दी ।
एक रात यहाँ बिताकर अगले दिन हम नीचे आ गये और जहां से ऐ.जे. अपने घर चला गया । इस छोटी सी उम्दा यात्रा का यही समापन होता है । जय हिन्द जय भारत ।
कुछ मुख्य पॉइंट यात्रा के :
- दिल्ली से बीड की दूरी लगभग 545 किमी. है (दिल्ली से HRTC की 3 वॉल्वो बसें भी चलती है सीधा बीड तक)।
- बीड से बिलिंग की दूरी 14 किमी. है।
- बीड 1550 मी. पर है और बिलिंग 2430 मी. पर ।
- बिलिंग से चैना पास (2750 मी.) 8 किमी. दूर है ।
- चैना पास से राजगुन्दा (2550 मी.) 4 किमी. दूर है ।
- चैना पास से शतवादिनी मंदिर 1 किमी. दूर है, जहां की ऊँचाई 2850 मी. है ।
- शतवादिनी मंदिर से हनुमानगढ़ (3070 मी.) की पैदल दूरी 2.5 किमी. है ।
- बिलिंग से राजगुन्दा के बीच सिर्फ चैना पास पर ही पानी उपलब्ध है।
जय हो...
ReplyDeleteजय हो...
DeleteBahut sundar
ReplyDeleteधन्यवाद द्वारका जी...भोले बाबा की कृपा आप पर बनी रहे।
DeleteAap do Aapke char Aapke sathiyo k sath sunder or saral yatra lekh
ReplyDeleteयहां आने के लिए धन्यवाद पूजा जी, निकलो आप भी कभी हिमालय में ।
Deleteगजब की फ़ोटो
ReplyDeleteमौर्या जी शुक्रिया, पहाड़ आपको शक्ति दें। शुभकामनाएं...
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