मेरा नाम ‘रोहित कल्याणा’ है और क्रेजी लोगों में ‘बाबा’ नाम से फेमस हूँ । पिछले कई सालों से पहाड़ों में पाया जाता हूँ मुख्यत: 2013 के बाद से । 2017 गुजर चुका है, सोच रहा हूँ आज इसका पिंड दान कर दूं इस पोस्ट के द्वारा । 2017 की मुख्य उपलब्धियां थी : 4231 रूपये खर्च करके कुल 59 दिन घुमक्कड़ी जिसमें 357 किमी. ट्रैकिंग, 5400 मी. पर कैम्पिंग, 17 दर्रे (माउंटेन पास) और 10 पर्वतीय झीलें के दर्शन शामिल हैं ।
4231 रूपये में 59 दिन घुमक्कड़ी :
जॉब छोड़ने के बाद बैंक अकाउंट हमेशा ही ब्लो पोवर्ती लाइन (BPL, गरीबी रेखा) ही रहा । पिछले साल बैंक गया था, पासबुक लेकर सोचा कि देख लूं अकाउंट बंद-वंद तो नहीं हो गया है । कीं...कीं...कीं...की...आवाज के बाद प्रिंटर ने पासबुक को बाहर फैंका और बैंक कर्मचारी ने हँसते हुए मेरे मुंह पर थूक । 0.84 रूपये की एंट्री पर नज़र डालते हुए उसने हंसी रोककर कहना शुरू किया, “जितनी धन-संपत्ति तुम्हारे खाते में हैं ना उससे 10 गुना खर्चा बैंक का हो रहा है इसकी एंट्री करने में, इतनी लम्बी दाढ़ी बढ़ा रखी है कहीं बाबा-वाबा ही बन जाओ कम-से-कम तुम जैसों के चक्कर में बैंक का नुक्सान तो बच जायेगा” । शायद मेरी बेज्जती हो रही थी क्योंकि मेरे पीछे लाइन में खड़े दो अंडे की तरह चिकने लौंडे भी पंतजलि टूथपेस्ट का भरपूर ऐड कर रहे थे लेकिन मैं सिर्फ ये सोचकर बेज्जती को इग्नोर कर गया कि “बैंकर खिड़की के उस तरफ बैठकर कितना पैसा कमाता होगा ?”, यहाँ मेरा मतलब उसकी मंथली सेलरी से है ।
तो मोरल ऑफ़ द स्टोरी यह है कि पैसा नहीं है और जितना था उसे भी दाव पर लगाकर खुद के लिए 59 दिन खरीद लिए ।
357 किमी. ट्रेकिंग :
सारे किमी. गिनूँ तो शायद 500 पार हो जाएगा, बात होगी सिर्फ उन दूरियों की जो किसी जानी-पहचानी जगह ले जाती हैं । साल का पहला ट्रैक मई में 'तत्त्वानी' किया यह जगह बीड़ से 30 किमी. दूर है जहां मात्र 2.5 किमी. की ट्रैकिंग हुई, ट्रैकिंग आसान थी लेकिन साइकिल से वहां पहुंचने का नतीजा 2 दिन कोमा में पड़े रहकर भुगतना पड़ा, यहाँ मेरे साथ नमन विज गया (बीड़ का उभरता साइकिलिस्ट है, पिछले साल नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में भी भाग ले चूका है) । अगला ट्रैक हिमाचली मानसून के बीच शुरू हुआ, प्लान था एक साथ 4 कैलाश दर्शन का । 100% पॉवर झौंकने के बाद सिर्फ 50% नतीजा ही हासिल हुआ । बैक-टू-बैक श्रीखंड और किन्नर कैलाश के दर्शन हुए । 10 दिन के सफ़र में 1877 रु. खर्च करके 41 किमी. की यात्रा की ।
अगस्त में 3 दिनों के दौरान मैंने और नूपुर ने सोलंग घाटी में 27 किमी. का ट्रैक किया, इसमें अंजनी महादेव, धुन्धी और बक्करथाच जगहें शामिल हैं । साल का पांचवा ट्रैक पिन पार्वती पास (पपप, PPP) रहा । मैं और नूपुर पास तक तो नहीं पहुंच पाये लेकिन एक अन्जाने कोल तक जरुर पहुंचे जिसकी ऊँचाई 5400 मी. है । मैं अभी तक अपनी लाइफ में इसी ट्रैक को बेस्ट ट्रैक का दर्जा देना चाहूँगा । इस ट्रैक पर 8 दिनों में 110 किमी. की दूरी तय करी । मेरे 30 रुपयों को छोड़ दें तो बाकी सारा खर्चा नूपुर ने पे किया । नूपुर की जय हो, लड़की बड़ी दयालु है ।
सितम्बर में फिर से तत्तापानी और इस बार बुलेट से, इस बार भी साथी नूपुर थी । द हेल रेस के स्काईरनिंग इवेंट के दौरान 87 किमी. का ट्रैक । 30 किमी. के रनिंग रूट पर 2-3 बार चक्कर लगे । कभी रूट रेकी के लिए, कभी रूट मार्किंग के लिए और लास्ट में रूट की फोटोग्राफी के लिए । इसी इवेंट के दौरान सोलांग में स्थित पतालसू चोटी (4200 मी.) भी फ़तेह करी, सोलांग से चोटी तक आना-जाना 3 घंटे 26 मिनट में पूरा किया जिसमें टोटल 14 किमी. की दूरी तय करी और हाईट गेन 1750 मी. के आसपास रहा ।
नौंवा ट्रैक हनुमानगढ़ चोटी का रहा जिसकी दोनों तरफ़ा दूरी बीड़ से पैदल लगभग 17 किमी. है । एकतरफा 8-9 किमी. की दूरी तय करने में ही 1520 मी. का हाईट गेन हो जाता है, विश्वास सिन्धु ने मेरा साथ दिया इस ट्रैक पर । नवम्बर में राजगुन्दा गाँव आना-जाना हुआ माइक (Michael Raphael D) के साथ । राजगुन्दा से एक रास्ता थम्सर पास की ओर जाता है जबकि दूसरा बरोट की तरफ, 24 किमी. यहाँ खींचे ।
सर्दियां आते ही सीजन की पहली बर्फ़बारी होते ही हनुमानगढ़ का दूसरा चक्कर लगा । इस बार बिलिंग तक एक्टिवा से गये और आगे ट्रैक 6 किमी. का । नवम्बर आखिरी सप्ताह में 110 किमी. साइकिलिंग करी बीड़-राजगुन्दा-बरोट-थाल्तुकोट-झाटीन्गरी-जोगिन्द्रनगर और बीड़ वापस । दिसम्बर तीसरे सप्ताह में हनुमानगढ़ पीक का आखिरी ट्रैक किया 2017 का, नूपुर के साथ । आने जाने में 11 किमी. लगे । साल 2017 का आखिरी ट्रैक बलेनी पास रहा जिसमें एकतरफा कुल दूरी 9.5 किमी. रही । इस ट्रैक पर हम चार लोग रहे मैं, नूपुर, अरविन्द कार्टूनिस्ट और रॉकी ।
17 दर्रे (माउंटेन पास) और 10 पर्वतीय झीलें :
पूरे साल की बात करें तो कुल मिलाकर 17 पहाड़ी दर्रों को पार किया और 10 पहाड़ी झीलों के दर्शन किये ।
ये 17 दर्रे इन प्रकार हैं :-
1. रोहतांग पास, 3979 मी. (2 बार)
2. बारालचला, 4902 मी. (2 बार)
3. नकी ला, 4739 मी. (2 बार)
4. लाचुंग ला/ लूँगालाचा ला, 5059 मी. (2 बार)
5. तांगलंग ला (5333 मी.)
6. चांग ला (5360)
7. सागा ला (4420 मी.)
8. नाम्शांग ला (4960 मी.)
9. पोलोखोंग्का ला (4920 मी.)
10. अंजान कोल (5400 मी.)
11. चैन्ना पास, 2450 मी. (2 बार)
12. बलेनी पास (3720 मी., पहुंच न पायें)
10 हिमालयी झीलें :
1. सिस्सू ताल (3120 मी.)
2. दीपक ताल (3750 मी.)
3. सूरज ताल (4883 मी.)
4. पैंगगोंग झील (4250 मी.)
5. त्शो-मोरिरी झील (4522 मी.)
6. त्शोकर झील (4530 मी.)
7. नैन सरोवर, श्रीखंड यात्रा (4250 मी.)
8. काली कुण्ड, श्रीखंड यात्रा (3510 मी.)
9. पार्वती कुण्ड, किन्नर कैलाश यात्रा (4550 मी.)
10. मानतलाई झील (4100 मी.)
धन्यवाद कहूँगा इन 4231 रुपयों को, 59 दिनों को, 357 किमी. को, 17 पहाड़ी पासों को, 10 झीलों को, 5400 मी. ऊँचाई को और अंत में थोड़े और धन्यवाद इन प्राणियों के लिए : नूपुर सिंह, विश्वास सिन्धु, भारत सिन्धु, कृष्णाप्रसाद (KP), योगेश, नमन विज, विक्रांत ठाकुर, शुशांत ठाकुर, फेरेंक, नंदू, संजू, सारांश गोस्वामी, अरविन्द कार्टूनिस्ट, रॉकी, अंकित मारवाहा....कोई छुटा तो नहीं । जो छुट हैं उनके लिए तहेदिल से धन्यवाद । मजाक-मजाक में कई दर्जन धन्यवाद हो गये लेकिन यह जरुर कहना चाहूँगा कि "यू गाइस आर अमेजिंग"
और इस दौरान तीन करीबी दोस्तों को खोया...देवेन्द्र रावत, योगेश नयाल और रोहित ठाकुर । तुम तीनों हमेशा याद आओगे । आशा करता हूँ आंसुओं में नहीं मुस्कुराहट में जिन्दा रहोगे ।
तो यह था 2017 का चिट्ठा, अब इसी पोस्ट के साथ 2019 में मिलूँगा तक तक घुमक्कड़ी मुबारक सभी को ।
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2017 की यात्राओं का लेखा-जोखा |
4231 रूपये में 59 दिन घुमक्कड़ी :
जॉब छोड़ने के बाद बैंक अकाउंट हमेशा ही ब्लो पोवर्ती लाइन (BPL, गरीबी रेखा) ही रहा । पिछले साल बैंक गया था, पासबुक लेकर सोचा कि देख लूं अकाउंट बंद-वंद तो नहीं हो गया है । कीं...कीं...कीं...की...आवाज के बाद प्रिंटर ने पासबुक को बाहर फैंका और बैंक कर्मचारी ने हँसते हुए मेरे मुंह पर थूक । 0.84 रूपये की एंट्री पर नज़र डालते हुए उसने हंसी रोककर कहना शुरू किया, “जितनी धन-संपत्ति तुम्हारे खाते में हैं ना उससे 10 गुना खर्चा बैंक का हो रहा है इसकी एंट्री करने में, इतनी लम्बी दाढ़ी बढ़ा रखी है कहीं बाबा-वाबा ही बन जाओ कम-से-कम तुम जैसों के चक्कर में बैंक का नुक्सान तो बच जायेगा” । शायद मेरी बेज्जती हो रही थी क्योंकि मेरे पीछे लाइन में खड़े दो अंडे की तरह चिकने लौंडे भी पंतजलि टूथपेस्ट का भरपूर ऐड कर रहे थे लेकिन मैं सिर्फ ये सोचकर बेज्जती को इग्नोर कर गया कि “बैंकर खिड़की के उस तरफ बैठकर कितना पैसा कमाता होगा ?”, यहाँ मेरा मतलब उसकी मंथली सेलरी से है ।
तो मोरल ऑफ़ द स्टोरी यह है कि पैसा नहीं है और जितना था उसे भी दाव पर लगाकर खुद के लिए 59 दिन खरीद लिए ।
357 किमी. ट्रेकिंग :
सारे किमी. गिनूँ तो शायद 500 पार हो जाएगा, बात होगी सिर्फ उन दूरियों की जो किसी जानी-पहचानी जगह ले जाती हैं । साल का पहला ट्रैक मई में 'तत्त्वानी' किया यह जगह बीड़ से 30 किमी. दूर है जहां मात्र 2.5 किमी. की ट्रैकिंग हुई, ट्रैकिंग आसान थी लेकिन साइकिल से वहां पहुंचने का नतीजा 2 दिन कोमा में पड़े रहकर भुगतना पड़ा, यहाँ मेरे साथ नमन विज गया (बीड़ का उभरता साइकिलिस्ट है, पिछले साल नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में भी भाग ले चूका है) । अगला ट्रैक हिमाचली मानसून के बीच शुरू हुआ, प्लान था एक साथ 4 कैलाश दर्शन का । 100% पॉवर झौंकने के बाद सिर्फ 50% नतीजा ही हासिल हुआ । बैक-टू-बैक श्रीखंड और किन्नर कैलाश के दर्शन हुए । 10 दिन के सफ़र में 1877 रु. खर्च करके 41 किमी. की यात्रा की ।
अगस्त में 3 दिनों के दौरान मैंने और नूपुर ने सोलंग घाटी में 27 किमी. का ट्रैक किया, इसमें अंजनी महादेव, धुन्धी और बक्करथाच जगहें शामिल हैं । साल का पांचवा ट्रैक पिन पार्वती पास (पपप, PPP) रहा । मैं और नूपुर पास तक तो नहीं पहुंच पाये लेकिन एक अन्जाने कोल तक जरुर पहुंचे जिसकी ऊँचाई 5400 मी. है । मैं अभी तक अपनी लाइफ में इसी ट्रैक को बेस्ट ट्रैक का दर्जा देना चाहूँगा । इस ट्रैक पर 8 दिनों में 110 किमी. की दूरी तय करी । मेरे 30 रुपयों को छोड़ दें तो बाकी सारा खर्चा नूपुर ने पे किया । नूपुर की जय हो, लड़की बड़ी दयालु है ।
सितम्बर में फिर से तत्तापानी और इस बार बुलेट से, इस बार भी साथी नूपुर थी । द हेल रेस के स्काईरनिंग इवेंट के दौरान 87 किमी. का ट्रैक । 30 किमी. के रनिंग रूट पर 2-3 बार चक्कर लगे । कभी रूट रेकी के लिए, कभी रूट मार्किंग के लिए और लास्ट में रूट की फोटोग्राफी के लिए । इसी इवेंट के दौरान सोलांग में स्थित पतालसू चोटी (4200 मी.) भी फ़तेह करी, सोलांग से चोटी तक आना-जाना 3 घंटे 26 मिनट में पूरा किया जिसमें टोटल 14 किमी. की दूरी तय करी और हाईट गेन 1750 मी. के आसपास रहा ।
नौंवा ट्रैक हनुमानगढ़ चोटी का रहा जिसकी दोनों तरफ़ा दूरी बीड़ से पैदल लगभग 17 किमी. है । एकतरफा 8-9 किमी. की दूरी तय करने में ही 1520 मी. का हाईट गेन हो जाता है, विश्वास सिन्धु ने मेरा साथ दिया इस ट्रैक पर । नवम्बर में राजगुन्दा गाँव आना-जाना हुआ माइक (Michael Raphael D) के साथ । राजगुन्दा से एक रास्ता थम्सर पास की ओर जाता है जबकि दूसरा बरोट की तरफ, 24 किमी. यहाँ खींचे ।
सर्दियां आते ही सीजन की पहली बर्फ़बारी होते ही हनुमानगढ़ का दूसरा चक्कर लगा । इस बार बिलिंग तक एक्टिवा से गये और आगे ट्रैक 6 किमी. का । नवम्बर आखिरी सप्ताह में 110 किमी. साइकिलिंग करी बीड़-राजगुन्दा-बरोट-थाल्तुकोट-झाटीन्गरी-जोगिन्द्रनगर और बीड़ वापस । दिसम्बर तीसरे सप्ताह में हनुमानगढ़ पीक का आखिरी ट्रैक किया 2017 का, नूपुर के साथ । आने जाने में 11 किमी. लगे । साल 2017 का आखिरी ट्रैक बलेनी पास रहा जिसमें एकतरफा कुल दूरी 9.5 किमी. रही । इस ट्रैक पर हम चार लोग रहे मैं, नूपुर, अरविन्द कार्टूनिस्ट और रॉकी ।
17 दर्रे (माउंटेन पास) और 10 पर्वतीय झीलें :
पूरे साल की बात करें तो कुल मिलाकर 17 पहाड़ी दर्रों को पार किया और 10 पहाड़ी झीलों के दर्शन किये ।
ये 17 दर्रे इन प्रकार हैं :-
1. रोहतांग पास, 3979 मी. (2 बार)
2. बारालचला, 4902 मी. (2 बार)
3. नकी ला, 4739 मी. (2 बार)
4. लाचुंग ला/ लूँगालाचा ला, 5059 मी. (2 बार)
5. तांगलंग ला (5333 मी.)
6. चांग ला (5360)
7. सागा ला (4420 मी.)
8. नाम्शांग ला (4960 मी.)
9. पोलोखोंग्का ला (4920 मी.)
10. अंजान कोल (5400 मी.)
11. चैन्ना पास, 2450 मी. (2 बार)
12. बलेनी पास (3720 मी., पहुंच न पायें)
10 हिमालयी झीलें :
1. सिस्सू ताल (3120 मी.)
2. दीपक ताल (3750 मी.)
3. सूरज ताल (4883 मी.)
4. पैंगगोंग झील (4250 मी.)
5. त्शो-मोरिरी झील (4522 मी.)
6. त्शोकर झील (4530 मी.)
7. नैन सरोवर, श्रीखंड यात्रा (4250 मी.)
8. काली कुण्ड, श्रीखंड यात्रा (3510 मी.)
9. पार्वती कुण्ड, किन्नर कैलाश यात्रा (4550 मी.)
10. मानतलाई झील (4100 मी.)
धन्यवाद कहूँगा इन 4231 रुपयों को, 59 दिनों को, 357 किमी. को, 17 पहाड़ी पासों को, 10 झीलों को, 5400 मी. ऊँचाई को और अंत में थोड़े और धन्यवाद इन प्राणियों के लिए : नूपुर सिंह, विश्वास सिन्धु, भारत सिन्धु, कृष्णाप्रसाद (KP), योगेश, नमन विज, विक्रांत ठाकुर, शुशांत ठाकुर, फेरेंक, नंदू, संजू, सारांश गोस्वामी, अरविन्द कार्टूनिस्ट, रॉकी, अंकित मारवाहा....कोई छुटा तो नहीं । जो छुट हैं उनके लिए तहेदिल से धन्यवाद । मजाक-मजाक में कई दर्जन धन्यवाद हो गये लेकिन यह जरुर कहना चाहूँगा कि "यू गाइस आर अमेजिंग"
और इस दौरान तीन करीबी दोस्तों को खोया...देवेन्द्र रावत, योगेश नयाल और रोहित ठाकुर । तुम तीनों हमेशा याद आओगे । आशा करता हूँ आंसुओं में नहीं मुस्कुराहट में जिन्दा रहोगे ।
तो यह था 2017 का चिट्ठा, अब इसी पोस्ट के साथ 2019 में मिलूँगा तक तक घुमक्कड़ी मुबारक सभी को ।
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बलेनी पास यात्रा |
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हनुमानगढ़ चोटी : 1 |
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हनुमानगढ़ चोटी : 2 |
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हनुमानगढ़ चोटी : 3 |
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पिन पार्वती पास |
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श्रीखंड महादेव यात्रा |
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किन्नर कैलाश यात्रा |
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चांग ला |
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नकी ला |
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लाचुलुंग ला |
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त्सागा ला |
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त्शो मोरीरी |
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पैंगगोंग झील |
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रोहतांग जोत |
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दीपक ताल |
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तत्त्वानी, गर्म पानी का कुण्ड |
सूरज ताल |
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तांगलंग ला |
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बारालाच ला |
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मानतलाई झील |
Enter your comment...आपकी हिम्मत को सलाम करते है।
ReplyDeleteधन्यवाद बधाई का, हिमालय आप पर कृपा बनाये रखे ।
Delete2018 के बारे में कुछ नहीं कहा 2019 क्यू
ReplyDeleteक्योंकि राठी जी इस साल का गौरा चिठठा अगले साल जनवरी में लिखा जाएगा। आपका दिन शुभ रहे।
Deleteसलाम है आपकी धुमक्कडी को भाई
ReplyDeleteधन्यवाद अंकित जी...
Deleteजियो बब्बर शेर ए हिमालय,
ReplyDeleteबोलो सुकडी बाबा दी जय।
जीवन चलने का नाम,
एक पोस्ट द हैल रेस पर पूरे विवरण सहित लिखना बाबा जी।
हा हा...आपका कमेंट भी किसी शेर-ए-बब्बर से कम नहीं है संदीप भाई। मौका लगा तो अवश्य लिखूंगा ।
Deleteवीर तुम बढे चलो !!
ReplyDeleteहम तुम्हारे साथ है। शुभकामनाएं योगी भाई ।
DeleteTym to ho hi lajawab
ReplyDeleteलाजवाब तो आप भी कम नहीं है मोहतरमा ।
Deleteशानदार , लाज़बाब, जबरदस्त ।।💐💐
ReplyDeleteशुक्रिया, मेहरबानी, धन्यवाद ।।
Deleteबल्ले बल्ले फट्टे चकते भाजी कामना करता हूं कि 2019 वाली लिस्ट और भी लंबी हो
ReplyDeleteभाजी नमस्कार है, वादा है अगली लिस्ट इससे भी बडी होगी।
Deleteलाजबाब जी मजा आ गया
ReplyDeleteधन्यवाद जी, आपका आना मुझे अच्छा लगा ।
Deleteसालों तुम लोग कौन हो जो यहां आकर फिरकी ले रहे हो...
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