26 दिसम्बर 2017
जून में बिजली गिरी थी बी.एस.एन.एल. के मोडम पर । वैसे तो इससे पहले भी कई बार गिरी थी और हर बार श्रीमती बिजली देवी ने किसी-न-किसी को भस्म किया । घर के तमाम इलेक्ट्रोनिक गैजेटस में से सबसे ज्यादा प्यारा उसे बी.एस.एन.एल. का मोडम लगा जिसको न जाने उसने बिजली मारकर कितनी ही बार धुआं-धुआं किया ।
वो दिन आज भी याद है, दिन था शनिवार 16 जून जब बिजली ने मोडम की बत्ती में आग लगायी । मैं दूसरे रूम में था नूपुर के 09 साल पुराने ‘डेल’ लैपटॉप (सीनियर सिटीजन) पर गूगल कर रहा था कि “हिंदी ब्लोगिंग से पैसे कैसे कमाएं”, कि तभी दूसरे रूम से चटर-पटर की आवाज के साथ तेज रौशनी हुई । आँखें चुंधिया गईं लगा जैसे “जीजस आ गए” ।
दौड़कर बाहर वाले रूम में देखा तो पता चला जीजस नहीं बिजली थी जिसने मोडम के पिछवाड़े को जलाकर रख कर दिया था । बेचारा आखिरी सांसे गिन रहा था । तो यह था किस्सा जिसकी वजह से मुझे बैजनाथ आना पड़ा । ठीक करवाने नहीं बल्कि डेड-बॉडी के बिल के चक्कर में ।
जून से दिसम्बर हो गया बी.एस.एन.एल. पूरी मुश्तैदी से हर महीने बिल भेजता रहा और हर बार हम इग्नोर करते रहे । मिर्ची तब लगी जब बी.एस.एन.एल. ने कोर्ट के द्वारा नोटिस भिजवा दिया । बिल न भरने का नतीजा 3988 रु. और अगर अभी न भरा गया तो सजा-ए-हथकड़ी ।
एक बाल्टी कपड़े भिगोकर बीड़ से बैजनाथ की बस पकड़ी और पहुंच गया उस स्थान पर जिसमें हर हिन्दुस्तानी नौकरी पाना चाहता है लेकिन जाना कोई नहीं, ‘सरकारी दफ्तर’ । उम्मीदों के विपरीत छोटे कद वाले अंकल ने फटाफट बिल जमा कर लिया और कनेक्शन काटने की एप्लीकेशन भी स्वीकार कर ली । हर जगह चिपके बी.एस.एन.एल. के स्टीकर ने मेरे संदेह को दूर किया कि “मैं सही ऑफिस में हूँ और ये वो बंदा है जिसे दुनिया 100% में से उन 1% में गिनती है जो काम करते हैं” । यह तो अजूबा था 1% से मिलकर मैं खुद को सौभाग्यशाली मान रहा था ।
विश्व विख्यात “द ओनली मृणाल” (मृणाल के बारें में न ही लिखूं तो अच्छा है) से नूपुर की 14 साल पुरानी एक्टिवा वापस लेकर सीधा बैजनाथ मंदिर की पार्किंग में पहुंचा । बादल थे और अपना इरादा भी आज कुछ नेक नहीं था । पता है क्या करने के लिए...इसका खुलासा थोड़ी देर बाद करूंगा चलो पहले बैजनाथ मंदिर घूम लेते हैं ।
14 साल वनवास काट चुकी एक्टिवा को पार्किंग के हवाले करके केंचुआ के जूतों में कदम आगे बढाएँ । यूँ ही ख्याल आया कि इस लड़की के पास हर चीज़ इतनी पुरानी क्यूँ है, 7 साल पुराना कैमरा, 14 साल पुरानी एक्टिवा, और 9 साल पुराना लैपटॉप । कभी-कभी तो लगता है इसके पास असली साईं बाबा का फोटो भी होगा ।
तो साहब 12 ज्योर्तिलिंगों में एक ज्योर्तिलिंग बैजनाथ भी है अगर हिमाचल वासियों और बहुत से और लोगों की माने तो । वैसे एक ज्योर्तिलिंग सैम नाम से झारखण्ड में भी है । हिमाचल के इस ज्योर्तिलिंग के बारें में ज्यादा जानकारी आप गूगल कर सकते हो ।
यह मंदिर तेहरवी सदी से सम्बन्धित है और भगवान शिव को समर्पित है । मंदिर के बैकग्राउंड में आपको धौलाधार रेंज दिखाई देगी । आजकल बर्फ गिरने से धौलाधार ‘वनिला-आइसक्रीम’ बनी हुई है । यहाँ से आप उतराला, जालसू, बिलिंग, शेराबिलिंग मोनास्ट्री, तलंग पास, तोरल पास, वारु पास, और शायद मैटरहॉर्न पीक को भी देख सकते हो । तो आज मैंने कई साल बाद इस मंदिर में कदम रखा जिसका सबूत नीचे है ।
मंदिर में कुछ समय बिताकर अंत में 25 रु. में नेक इरादे को अंजाम दिया । काफी समय से बीड़ में रह रहा हूँ लेकिन इसी महीने नशे की आदत लगी है । बैजनाथ बस स्टैंड के सामने एक दूकान है जहां समोसे-टिक्की की बेहतरीन प्लेट मिलती है, मेरे लिए तो यह ड्रग्स से कम नहीं है । नाम याद नहीं है उस फ़रिश्ते का जो लाल, हरी चटनी के साथ दही का ऐसा कॉम्बिनेशन बनाता है कि आपके भीतर हर एक चम्मच के साथ खून की 10 नई बूंद बनने लग जाती है । एक प्लेट खाकर एक नूपुर के लिए पैक करवा ली । आखिर अकेला मैं ही नहीं हूँ जिसे इस ड्रग की लत है ।
हाल ही में किसी ने कहा कि “लिखते क्यूँ नहीं हो ?”
“समय नहीं मिलता”, बोलकर मैंने अपने कॉमन हथियार को यूज़ किया ।
“तो फोटो ही डाल दिया करो कम-से-कम दर्शन ही हो जायें तुम्हारे”, नशीली आवाज में किसी ने कहा ।
“हम्म जब दिल करेगा तब पक्का लिखूंगा और फोटो भी अपलोड करूंगा”, बोलकर होटों पे लगी लाल चटनी पर जीभ फिराई और यकीन मानो यह एहसास “खुद को पिघलते देखने जैसा था” ।
जून में बिजली गिरी थी बी.एस.एन.एल. के मोडम पर । वैसे तो इससे पहले भी कई बार गिरी थी और हर बार श्रीमती बिजली देवी ने किसी-न-किसी को भस्म किया । घर के तमाम इलेक्ट्रोनिक गैजेटस में से सबसे ज्यादा प्यारा उसे बी.एस.एन.एल. का मोडम लगा जिसको न जाने उसने बिजली मारकर कितनी ही बार धुआं-धुआं किया ।
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बैजनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश |
वो दिन आज भी याद है, दिन था शनिवार 16 जून जब बिजली ने मोडम की बत्ती में आग लगायी । मैं दूसरे रूम में था नूपुर के 09 साल पुराने ‘डेल’ लैपटॉप (सीनियर सिटीजन) पर गूगल कर रहा था कि “हिंदी ब्लोगिंग से पैसे कैसे कमाएं”, कि तभी दूसरे रूम से चटर-पटर की आवाज के साथ तेज रौशनी हुई । आँखें चुंधिया गईं लगा जैसे “जीजस आ गए” ।
दौड़कर बाहर वाले रूम में देखा तो पता चला जीजस नहीं बिजली थी जिसने मोडम के पिछवाड़े को जलाकर रख कर दिया था । बेचारा आखिरी सांसे गिन रहा था । तो यह था किस्सा जिसकी वजह से मुझे बैजनाथ आना पड़ा । ठीक करवाने नहीं बल्कि डेड-बॉडी के बिल के चक्कर में ।
जून से दिसम्बर हो गया बी.एस.एन.एल. पूरी मुश्तैदी से हर महीने बिल भेजता रहा और हर बार हम इग्नोर करते रहे । मिर्ची तब लगी जब बी.एस.एन.एल. ने कोर्ट के द्वारा नोटिस भिजवा दिया । बिल न भरने का नतीजा 3988 रु. और अगर अभी न भरा गया तो सजा-ए-हथकड़ी ।
एक बाल्टी कपड़े भिगोकर बीड़ से बैजनाथ की बस पकड़ी और पहुंच गया उस स्थान पर जिसमें हर हिन्दुस्तानी नौकरी पाना चाहता है लेकिन जाना कोई नहीं, ‘सरकारी दफ्तर’ । उम्मीदों के विपरीत छोटे कद वाले अंकल ने फटाफट बिल जमा कर लिया और कनेक्शन काटने की एप्लीकेशन भी स्वीकार कर ली । हर जगह चिपके बी.एस.एन.एल. के स्टीकर ने मेरे संदेह को दूर किया कि “मैं सही ऑफिस में हूँ और ये वो बंदा है जिसे दुनिया 100% में से उन 1% में गिनती है जो काम करते हैं” । यह तो अजूबा था 1% से मिलकर मैं खुद को सौभाग्यशाली मान रहा था ।
विश्व विख्यात “द ओनली मृणाल” (मृणाल के बारें में न ही लिखूं तो अच्छा है) से नूपुर की 14 साल पुरानी एक्टिवा वापस लेकर सीधा बैजनाथ मंदिर की पार्किंग में पहुंचा । बादल थे और अपना इरादा भी आज कुछ नेक नहीं था । पता है क्या करने के लिए...इसका खुलासा थोड़ी देर बाद करूंगा चलो पहले बैजनाथ मंदिर घूम लेते हैं ।
14 साल वनवास काट चुकी एक्टिवा को पार्किंग के हवाले करके केंचुआ के जूतों में कदम आगे बढाएँ । यूँ ही ख्याल आया कि इस लड़की के पास हर चीज़ इतनी पुरानी क्यूँ है, 7 साल पुराना कैमरा, 14 साल पुरानी एक्टिवा, और 9 साल पुराना लैपटॉप । कभी-कभी तो लगता है इसके पास असली साईं बाबा का फोटो भी होगा ।
तो साहब 12 ज्योर्तिलिंगों में एक ज्योर्तिलिंग बैजनाथ भी है अगर हिमाचल वासियों और बहुत से और लोगों की माने तो । वैसे एक ज्योर्तिलिंग सैम नाम से झारखण्ड में भी है । हिमाचल के इस ज्योर्तिलिंग के बारें में ज्यादा जानकारी आप गूगल कर सकते हो ।
यह मंदिर तेहरवी सदी से सम्बन्धित है और भगवान शिव को समर्पित है । मंदिर के बैकग्राउंड में आपको धौलाधार रेंज दिखाई देगी । आजकल बर्फ गिरने से धौलाधार ‘वनिला-आइसक्रीम’ बनी हुई है । यहाँ से आप उतराला, जालसू, बिलिंग, शेराबिलिंग मोनास्ट्री, तलंग पास, तोरल पास, वारु पास, और शायद मैटरहॉर्न पीक को भी देख सकते हो । तो आज मैंने कई साल बाद इस मंदिर में कदम रखा जिसका सबूत नीचे है ।
मंदिर में कुछ समय बिताकर अंत में 25 रु. में नेक इरादे को अंजाम दिया । काफी समय से बीड़ में रह रहा हूँ लेकिन इसी महीने नशे की आदत लगी है । बैजनाथ बस स्टैंड के सामने एक दूकान है जहां समोसे-टिक्की की बेहतरीन प्लेट मिलती है, मेरे लिए तो यह ड्रग्स से कम नहीं है । नाम याद नहीं है उस फ़रिश्ते का जो लाल, हरी चटनी के साथ दही का ऐसा कॉम्बिनेशन बनाता है कि आपके भीतर हर एक चम्मच के साथ खून की 10 नई बूंद बनने लग जाती है । एक प्लेट खाकर एक नूपुर के लिए पैक करवा ली । आखिर अकेला मैं ही नहीं हूँ जिसे इस ड्रग की लत है ।
हाल ही में किसी ने कहा कि “लिखते क्यूँ नहीं हो ?”
“समय नहीं मिलता”, बोलकर मैंने अपने कॉमन हथियार को यूज़ किया ।
“तो फोटो ही डाल दिया करो कम-से-कम दर्शन ही हो जायें तुम्हारे”, नशीली आवाज में किसी ने कहा ।
“हम्म जब दिल करेगा तब पक्का लिखूंगा और फोटो भी अपलोड करूंगा”, बोलकर होटों पे लगी लाल चटनी पर जीभ फिराई और यकीन मानो यह एहसास “खुद को पिघलते देखने जैसा था” ।
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बैजनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश |
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मंदिर से दिखती धौलाधार रेंज |
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मंदिर का बैक गेट |
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विष्णु भगवान |
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'नंदी' भाई जान |
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काली?? |
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मंदिर की खिड़की |
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और खिड़की से दिखता नज़ारा |
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गर्भगृह से |
मेरे पसंदीदा लेखकों में सबसे ऊपर एक बंदा है, देखने में तो सुकडी सा है, लेकिन है बडा दिलदार।
ReplyDeleteलिखने में लाजवाब तो ट्रैकिंग में भी महारथी।
नाम कल्याणा है उसका, कभी मिले तो कहना मुझे मिलना है महारथी से। मैं दिल्ली में हूँ, महारथी फरीदाबाद या बीड में पाया जा सकता है।
नंदी को भाई जान न बोलो। साई को बोलो तो चलेगा।
सैंडी भाई को प्रणाम। आपकी तारीफ बिगाड़ रही है मुझे। आपसे मिलने की मेरी भी बड़ी इक्षा है। इस बार फरीदाबाद आया तो आपके अमरेश्पुरी लुक तो अवश्य देखूंगा । ब्लोगिंग दुनिया में सिर्फ आप ही हैं जो मेरे जैसो को सम्मान पात्र समझते हैं और उत्साह बढ़ाते हैं । खुश रहे और शुभकामनाएं मेरी ओर से । राम राम भाई...
Deleteसरस
ReplyDeleteसरस
ReplyDeleteआभार
DeleteThank u
ReplyDeleteThank u
ReplyDeleteयोर वेलकम...
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