हिमाचली सर्दियों ने हिमालय के आँगन में दस्तक दे दी है वो भी सूखी वाली । अक्टूबर से राह देख रहे हैं कि कब पहाड़ों पर सर्दियों का चिट्टा रंग चढ़ेगा ? । 10 नवम्बर को एक्युवेदर ने बताया कि अगले हफ्ते बारिश और बर्फ का योग है तो “आँखें ऐसे चमकने लगी जैसे किसी ने अपने हजार बीट-कोइन मेरे नाम कर दिए हो” ।
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उड़ता बाबा (pc : Nupur Singh) |
दिन था 18 नवम्बर जब बीड़ में बारिश और 2000 मी. से ऊपर वाले समूचे हिमालय में बर्फबारी हुई । बीड़ का ताज हनुमानगढ़ पीक है जो इसके बिलकुल पीछे खड़ा है । 19 नवम्बर को मैंने और
विश्वास सिन्धु ने प्लान बनाया हनुमानगढ़ पीक जाने का वाया 'बिलिंग' व 'गो-नाला' । नाश्ते के बाद दोनों कार से बिलिंग पहुंचे जहां से 70 डिग्री पर खड़े 'गो-नाले' को चढ़कर सकुशल टॉप पर पहुंचे । इस सीजन में यह दूसरा दौरा था गढ़ का और पहला मौका था जब सीजन की पहली बर्फ़बारी से प्यार हो गया । अमेजिंग मूवमेंट था जब टॉप पर हम ग्वाह बने केसरिया और सफ़ेद रंग के मिलन का ।
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विश्वास "गो नाले" में सुस्ताते हुए |
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बोलो पवनपुत्र हनुमान की "जय" |
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3070 मी. पर बर्फ गिरनी शुरू हो गयी |
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वापसी टू होम |
तीसरी विजिट टू हनुमानगढ़ चोटी : दिन था 15 दिसम्बर, इस बार मैंने और
नूपुर ने एक बार फिर से गढ़ जाना तय किया । पिछली बार हम
बीड़ से हनुमानगढ़ चढ़े थे । धौलाधार रेंज में 13 और 14 दिसम्बर भारी बर्फ़बारी हुई है । पीर-पंजाल में बर्फ़बारी लगातार 4 दिन चली । इस बार बर्फ 2000 मी. से भी नीचे उतर आई । हमने छोटी-मोटी तैयारी करके अगले दिन हनुमानगढ़ चढना तय किया वाया ‘गो-नाला’, इन तैयारियों का अटपटा फोटो आगे आयेगा । बर्फ ने
आंटी को आई मीन 14 साल पुरानी एक्टिवा को बिलिंग से 2 किमी. पहले ही रोक दिया । आगे बर्फ थी और फिसलन ।
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बिलिंग की सफ़ेद राहें (pc : Nupur Singh) |
पिछले कल स्थानियों ने चुनौती फैंकते हुए कहा था कि इतनी बर्फ में चैना पास तो क्या आप 12 नंबर मोड़ तक भी नहीं पहुंच सकते और अगर पहुंच गये तो (यहाँ मुझे लगा था कि शायद चुनौतीकर्ता अपनी मुच्छे मुंडवा देगा) मान जायेंगे तुम्हें । चुनौती को मैंने व्यक्तिगत तौर पर स्वीकार कर लिया । भला ऐसे कैसे हो सकता है कि “हम 12 मोड़ (बिलिंग से 1.5 किमी. आगे) तक भी नहीं पहुंच सकते” ? । हम भी आखिर पुराने चावल हैं ।
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बर्फ से ढका बिलिंग (pc : Nupur Singh) |
पहली चुनौती 12 नम्बर मोड़ को पार करते ही पूरी हो गयी । अगर आज 1 बजे चलना शुरू नहीं करते तो आराम से चैना पास पहुंच जाते । बर्फ लगभग 8 इंच थी, टखने को चूमती हुई । हर तरफ बर्फ के सिवा कुछ नहीं था वो बात अलग है कि हमारे सिवाय यहाँ कोई भालू अवश्य होगा जो हमें कोंकर करने की सोच रहा होगा ।
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12 नंबर से बड़ भारी आगे (pc : Nupur Singh) |
लगभग सवा एक घंटे में हम "गो नाले" पर पहुंच गये जहां से हमें हनुमानगढ़ के लिए सीधा ऊपर चढ़ना था । लेकिन जब नाले के पायदान पर पहुंचे तब पता चला ये लौंडा हमें धर-दबौचने को बेचैन है । पहला कदम नाले में डालते ही मेरी पतली कमर बलखा गयी, यहाँ बर्फ 3 फीट से ज्यादा थी । अगले 20 कदमों में मेरी चियुं हो गयी । मैंने कमर तक बर्फ में डूबे-डूबे 'नाले देवता' को प्रणाम किया और मन में दोहराया "ये ना हो पायेगा"। जब मैंने मोदी जी की तरह 'मन की बात' नूपुर को बताई तब वो भी कमर तक बर्फ में खड़ी थी ।
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मेरे पीछे "श्री श्री 10008 गो नाला महाराज जी" (pc : Nupur Singh) |
अब वक्त था अपने अविष्कार को अजमाने का । जिसे बनाने में पूरी धन-सम्पति लग गयी और अंत में किसी काम न आया । इसे बनाने में सालों की मेहनत और परिश्रम लगा जो 3 फीट बर्फ में आकर 'डेड वेट' साबित हुआ । अपने अविष्कार जिसे 'स्नो-शूज' कहते हैं के फ़ैल होने का इल्जाम मैंने आधार कार्ड को दिया । काश आने से पहले इसे आधार कार्ड से लिंक करवा लेता तो ये हमारे लिए उड़ता कालीन साबित होता । "अब पछतावत क्या होत जब चिड़िया चुग गयी खेत" ।
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द इंटरनेशनल स्नो शूज...(दिस इज अमेजिंग, स्टुपिड) |
यह मिशन असफल हुआ जिसके तहत करोड़ों का भारी नुक्सान हुआ और 20 रु. की रस्सी अलग से व्यर्थ गयी, जिसका मुझे ज्यादा दुःख है । नुक्सान की पूर्ति के लिए दोनों ने चैना पास की ओर जाना बेहतर समझा और यह डील साईन करी कि "4 बजे तक जहां तक पहुंचेंगे वहां तक जायेंगे और 4 बजते ही उल्टे पैर दौड़ आएंगे" । डन बोलते ही नूपुर कमर तक बर्फ में घुस गयी ।
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द मुन वाक #LOL (pc : Nupur Singh) |
'गो नाला' बिलिंग से लगभग 4 किमी. दूर है, अगर गो नाले से चढ़ते हैं तो हनुमानगढ़ यहाँ से मात्र 1 किमी. है । वैसे तो एक रास्ता चैना पास से भी जाता है जहां से टॉप लगभग 2 किमी. दूर है । तापमान 1 डिग्री हो गया, जुराबें गीली, पैर सुन्न, 400 वाली ब्रांडेड
Lee Cooper Lee Kupar जींस घुटनों तक अकड़ गयी, उंगलियाँ बेहोश और नाक पंचर । शरीर के हर पुर्जे ने ऐसे बिहेव किया जैसे कहना चाह रहें हों "10 मिनट है फिर देख तेरी कैसे पुंगी बजाते हैं" । अच्छा है ये सीरियस मेटर था नहीं तो मजाक मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है । 20 मिनट लग गये मुझे आग जलाने के असफल प्रयास में और खुद को यह एहसास कराने के लिए कि "मुझसे ना हो पायेगा" ।
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आज तो बर्फ में आग लगा दूंगा (pc : Nupur Singh) |
सवा चार हो गये अँधेरा होने से पहले हमें बिलिंग पहुंचना होगा । वैसे भी मैंने सुना है पहाड़ों में भालू से ज्यादा डर टपके का होता है आई मीन भूतों का । आज तक किसी को देखा तो नहीं है लेकिन फिर भी डरना तो पड़ता ही है । सवा चार वापस हो लिए तेज हवा के बीच ।
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वापस जाते हुए (pc : Nupur Singh) |
हम बिलिंग से लगभग 6 किमी. आगे तक गये । यहाँ से चैना पास मात्र 2 किमी. ही रह गया था अगर आज लेट न आते तो चैना पास पहुंच ही जाते । लेकिन चलो नेक्स्ट टाइम के लिए भी कुछ छोड़ देना चाहिए । वापसी हमारी किसी सुपरहीरो से कम नहीं थी । जहां मैं अपने आपको सुपरमैन समझ रहा था वहीं नूपुर शायद खुद को वंडर वुमेन समझ रही थी । बर्फ की मोटाई 1 फीट के आस-पास रही होगी और हम चल नहीं बल्कि भाग रहे थे । 100-100 मीटर के हमने कई स्प्रिंट मारे । अगर कोई टाइमिंग रिकॉर्ड करने वाला होता तो उसे पता चलता कि उसेन बोल्ट का रिकॉर्ड तो पहले स्प्रिंट में ही टूट गया था ।
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दौड़ती नूपुर |
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न जाने कहाँ रुकेगी ? |
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इतनी जवान कभी न थी शाम, शाम को याद आयेगी झंडू बाम (pc : Nupur Singh) |
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नूपुर स्टॉप...कोई रोको इसे |
आशा है पोस्ट पसंद आयेगा भाइयों को । लौंडों सर्दियां आ गयी हैं तो जो भी साथी पहाड़ों में जा रहा है पूरी तैयारी से जाएँ, अपना और हिमालय का ध्यान रखें ।
संदीप भाई महीनों से प्रयास कर रहे हैं कि "बिना हेलमेट के गाड़ी न चलायें", तो जो भाई समझ गये हैं उनका धन्यवाद और जो नहीं समझे हैं उन्हें बता दूं कि "सुधारने केे प्रयास जारी रहेंंगे" ।
मजा आ गया पढकर बाबा जी
ReplyDeleteहहहह गजब लिखे हो...
ReplyDeleteगजब कहां हम तो हिंदी लिखते हैं, हा हा मजाक कर रहा हूँ साहब । धन्यवाद आपकी टिपण्णी का ।
Deleteजय हो, यह जोडी जिधर भी निकलती है धमाल करती है। लेखन तो बेमिसाल है ही सूर्यास्त वाले फोटो गजब आये है।
ReplyDeleteजुगाड आजमाते रहो, कभी कभी बहुत काम आ जाते है।
और हाँ, गर्मियों वाले हीरो को सर्दियों में हैल्मेट के बिना ढूंढना मुश्किल हो रहा है। फिर भी बाकी है कुछ लापरवाह
सूर्यास्त वाला फोटो तो है ही खतरनाक प्यारा । आपकी भावनाओं का आदर और एक और जुगाड़ बना रहें हैं देखते हैं कितना और कब तक टिकता है ।
Deleteहा हा...कानून तो नहीं कर पाया लेकिन ठण्ड ने अपना सिक्का जमा लिया । आपके प्रयास को नमन है भाई जी ।
मजा आया और सूर्यास्त वाले फोटो बेहतरीन है।
ReplyDeleteTumhare post padkr Bas y hi lagta h k pata nhi Hume kab Aapke sath Jane ka moka milega
ReplyDeleteमेरे ख्याल से आपको मौका तब मिलेगा जब आप खुद को मौका देंगे । बाकी शुक्रिया कमेन्ट के लिए ।
Deleteमजा आ गया पढ़ कर रोहित कल्याण भाई जी
ReplyDeleteभाई कमाल का लिखते हो आप और फोटो भी मस्त है
ReplyDeleteबस आप जैसे भाइयों ने ही सर पर चढ़ा रखा है नहीं तो न ब्लॉग था और न फोटो । शुक्रिया आपकी प्रतिक्रिया का ।
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